यहां एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 (2020) के कोझिकोड (कालीकट) हवाई अड्डे पर हुए हादसे की कुछ प्रमुख तस्वीरें प्रस्तुत की जा रही हैं:
Air Indiaदुर्घटनास्थल की तस्वीरें
- विमान का मलबा: विमान के टुकड़े रनवे के अंत से नीचे गहरी खाई में गिरे, जिससे विमान दो टुकड़ों में टूट गया।
- राहत कार्य: स्थानीय लोग, पुलिस और आपातकालीन सेवाएं मिलकर मलबे से जीवित लोगों को निकालने का प्रयास कर रहे हैं।
- चाइल्ड रेस्क्यू: दुर्घटना से बचाए गए एक बच्चे को अस्पताल ले जाते हुए।
- विमान का कॉकपिट: विमान के कॉकपिट का गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त दृश्य।
- उपग्रह चित्र: उपग्रह से ली गई तस्वीरों में विमान के मलबे को नीले कवर से ढंका हुआ दिखाया गया है।
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 हादसा (2020): एक दर्दनाक त्रासदी
परिचय:
7 अगस्त 2020 को, एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट 1344 एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गई। यह विमान दुबई से भारत के केरल राज्य के कोझिकोड (कालीकट) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ओर आ रहा था। यह विशेष उड़ान वंदे भारत मिशन के अंतर्गत चलाई जा रही थी, जो कोविड-19 महामारी के दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश वापस लाने के लिए शुरू किया गया था।
हादसे का विवरण:
यह विमान बोइंग 737-800 मॉडल था, जिसमें कुल 190 लोग सवार थे — जिसमें 174 यात्री, 10 शिशु, 4 केबिन क्रू और 2 पायलट शामिल थे। भारी बारिश के कारण हवाई अड्डे पर दृश्यता बेहद कम थी। विमान कोझिकोड एयरपोर्ट के टेबलटॉप रनवे पर लैंड कर रहा था, लेकिन यह रनवे के पार फिसल गया और 35 फीट गहरी खाई में गिर गया। टकराव के कारण विमान दो टुकड़ों में टूट गया।
मृत्यु और घायलों की संख्या:
इस हादसे में पायलट कैप्टन दीपक वसंत साठे और सह-पायलट अखिलेश कुमार सहित कुल 21 लोगों की मृत्यु हो गई। कई यात्री गंभीर रूप से घायल हुए, और कुछ की स्थिति नाजुक थी। विमान में सवार कई यात्री कोरोना संक्रमित भी पाए गए, जिससे राहत कार्य में और कठिनाई हुई।
कारण और जांच:
हादसे की जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की गई। रिपोर्ट में कहा गया कि भारी बारिश, गीला रनवे और विमान के रनवे पर देर से उतरना इस दुर्घटना के मुख्य कारण थे। इसके अलावा, रनवे के अंत में सेफ्टी ज़ोन की कमी और टेबलटॉप एयरपोर्ट की विशेष बनावट ने भी हादसे को और गंभीर बना दिया।
निष्कर्ष:
एयर इंडिया एक्सप्रेस फ्लाइट 1344 का हादसा भारत के विमानन इतिहास में एक गहरा धक्का था। यह घटना न सिर्फ पायलटों की सूझबूझ और साहस को दर्शाती है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अत्यधिक सावधानी और बेहतर सुरक्षा व्यवस्था हर उड़ान के लिए आवश्यक है। यह हादसा एक चेतावनी भी है कि मौसम की खराब स्थिति में टेबलटॉप रनवे पर लैंडिंग हमेशा जोखिम भरी होती है, और इसके लिए विशेष तैयारी और सतर्कता की जरूरत होती है ।